Jan 30, 2020

बसन्त पंनचमी की बहार

Basant Panchami 2020: बसंत पंचमी पर्व का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इस ख़ास दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती जी की पूजा और आराधना की जाती है। बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। माँ सरस्वती जी की आराधना को लेकर कहा जाता है कि सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण जी ने उनकी पूजा की थी। इसके पीछे एक कथा का वर्णन भी किया जाता है।
बसंत पंचमी पर देवी माँ सरस्वती की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि माँ सरस्वती जी की सबसे पहले पूजा श्रीकृष्ण और ब्रह्माजी ने ही की। माँ सरस्वती ने जब श्रीकृष्ण को देखा तो उनके रूप पर इस कद्र मोहित हो गईं कि उन्हें पति के रूप में पाने की इच्छा करने लगीं। भगवान कृष्ण को इस बात का पता चलने पर उन्होंने कहा कि वे तो राधा के प्रति समर्पित हैं। सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रीकृष्ण जी ने वरदान दिया कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखने वाला मनुष्य माघ मास की शुक्ल पंचमी को आपकी पूजा करेगा।
माँ सरस्वती की तस्वीर
माँ सरस्वती की तस्वीर
श्रीकृष्ण जी ने इस वरदान के बाद सर्वप्रथम खुद माँ सरस्वती जी की पूजा की। सृष्टि निर्माण के लिए मूल प्रकृति के पांच रूपों में से सरस्वती एक हैं, जो वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिटक दिया। जिससे सारी धरती हरियाली से आच्छादित हो गई पर साथ ही देवी सरस्वती का उद्भव हुआ जिसे ब्रह्माजी ने आदेश दिया कि वीणा और पुस्तक से इस सृष्टि को आलोकित करें।
माँ सरस्वती के वीणा से झंकृत संगीत में प्रकृति विहंगम नृत्य करने लगती है। देवी के ज्ञान का प्रकाश पूरी धरा को प्रकाशमान करता है। जिस तरह सारे देवों और ईश्वरों में जो स्थान श्रीकृष्ण का है वही स्थान ऋतुओं में बसंत का है। यह स्वयं श्रीकृष्ण ने इस बात को स्वीकार किया है।

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